ग्रामीणों के सहयोग से बना क्रूज स्कूल, 400 बच्चों की पढ़ाई के लिए 40 लाख रुपए खर्च किए

एजुकेशन एक्सप्रेस के जरिए देशभर में छाप छोड़ चुके अलवर में नवाचार के क्षेत्र में यह पानी का जहाजनुमा स्कूल का भवन तैयार हुआ है।


राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय हल्दीना में तैयार हुए इस जहाज में क्लास रूम है और इसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आ रहे हैं। बच्चे भी इस क्लासरूम में बैठने के बाद खासे उत्साहित हैं। दरअसल बच्चों ने भी अब तक जहाज सिर्फ किताबों में ही देखा था। अपनी आंखों के सामने बने इस जहाज को लेकर काफी उनमें उत्साह है।


भवन निर्माण में ग्रामीणों ने भी दिया सहयोग


इस जहाज को मूर्तरूप दिया है समसा के जेईएन राजेश लवानियां ने। राजेश ने सहगल फाउंडेशन के सहयोग से नवाचार का नया रूप पाठशाला में दिया है। प्रिंसिपल बनवारीलाल जाट ने बताया कि स्कूल में 6 से 12 तक की कक्षाएं संचालित हैं और इनमें 400 बच्चे पढ़ रहे हैं। सहगल फाउंडेशन के महिपाल सिंह ने बताया कि स्कूल के रिनोवेशन में करीब 40 लाख से ज्यादा रुपया लगा है। इसमें ग्रामीणों ने भी 2 लाख रुपए का सहयोग किया है। वे अब तक अलग-अलग 42 स्कूलाें में नवाचार कर चुके हैं। 



क्या है इस एजुकेशन क्रूज में?
हल्दीना के सरकारी स्कूल में बने इस एजुकेशन क्रूज में ग्राउंड फ्लोर पर स्मार्ट क्लासरूम है। इसमें 40 बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर है और सामने की दीवार पर 55 इंच की एलईडी लगी हुई है। बच्चे बदलते हुए कालांशों में यहां आकर पढ़ते हैं। फर्स्ट फ्लोर पर एक्टिविटी रूम है जिसमें बच्चे अपनी कल्पनाओं को साकार करने के लिए ड्राइंग बनाते हैं। बच्चों को क्रूज के टेरेस पर खड़ा होना भी काफी रोमांचित करता है। इससे लगता है कि वे पानी के जहाज में खड़े हों। क्रूज में लर्निंग इंडिया, ग्रोइंग इंडिया लिखा नजर आता है और इंडियन नेवी का लोगो भी दिखाई देता है।



स्कूलों को चाइल्ड फ्रेंडली बनाना लक्ष्य- लवानियां 
इंजीनियर राजेश लवानियां का कहना है कि उनका लक्ष्य स्कूलों को चाइल्ड फ्रेंडली बनाना है। स्कूलों में हुए नवाचार से माहौल बदला है और स्कूलों में 50 फीसदी से अधिक तक नामांकन बढ़ा है। सहगल फाउंडेशन को मेरा प्रस्ताव पसंद आया और उनके सहयोग से हम यह बना पाए। बच्चों को सरकारी स्कूलों के प्रति आकर्षित करने के लिए जरूरी है कि उन्हें नया माहौल दिया जाए और इसी दिशा में सरकार प्रयासरत है।